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Arpita Sahoo

Abstract Others

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Arpita Sahoo

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जीने दो

जीने दो

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ज़िदगी का ये हसीन सफर

कब शुरू हुआ कब खत्म


ना तुम जान सके

ना हम समझ सके


ना इजाज़त ली

ना अलविदा का मौका दिया


लापता सी इन राहों पर

गुमनाम सहारे का सहारा लिए

ज़िदगी की सच्चाई का सच

कुछ हमें भी तो मालूम हो


हमें भी तो इस जीने की

आरजू को जीने दो...


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