जीने दो
जीने दो

1 min

442
ज़िदगी का ये हसीन सफर
कब शुरू हुआ कब खत्म
ना तुम जान सके
ना हम समझ सके
ना इजाज़त ली
ना अलविदा का मौका दिया
लापता सी इन राहों पर
गुमनाम सहारे का सहारा लिए
ज़िदगी की सच्चाई का सच
कुछ हमें भी तो मालूम हो
हमें भी तो इस जीने की
आरजू को जीने दो...