Arpita Sahoo
Classics Others
कुछ तो नशा है इस आज़ादी में
इन हवाओं में......
क्या मौजूद है वो जिसकी तलाश है
इन वादियों में....
कहां है वो, क्या है वो
कहीं ये वो तो नहीं...
जो आज खुश है, तो कल नादान है
कहीं यह वो तो नहीं....
जिसे आज खुद की तलाश है!
कौन है वो?
जन्नत
जादुई लफ्ज़
कुसूर नहीं यह...
कुछ बदलने लगा
आखिर क्यों
वक्त का आईना
एक नया आगाज़
वो भी क्या दि...
जीने दो
जैसे नदियाँ की धारा पर राह बनाता पुल वैसे ही। जैसे नदियाँ की धारा पर राह बनाता पुल वैसे ही।
प्रतिकूलता में भी मुस्कान ढूँढ जीवन ख़ुशियों से भरना है। प्रतिकूलता में भी मुस्कान ढूँढ जीवन ख़ुशियों से भरना है।
हर बात पे सवाल है निगाह मैं हर साथ पे क्यों शिकवा है। हर बात पे सवाल है निगाह मैं हर साथ पे क्यों शिकवा है।
माँ शब्द में ही है एक आस, जो देती है उम्मीद, प्यार और पूर्णता का एहसास। माँ शब्द में ही है एक आस, जो देती है उम्मीद, प्यार और पूर्णता का एहसास।
एक दिन सब यहाँ मिट्टी में मिल जाता है। एक दिन सब यहाँ मिट्टी में मिल जाता है।
उसके दिल में मैं नहीं 'बेघर' ये मेरे दिल को पता क्यूँ है ? उसके दिल में मैं नहीं 'बेघर' ये मेरे दिल को पता क्यूँ है ?
पंचशील जीवन का मूल अपनाओ इन्हें करो न भूल. पंचशील जीवन का मूल अपनाओ इन्हें करो न भूल.
अब तक के सफर की, सारी बातें बता रही थी।। अब तक के सफर की, सारी बातें बता रही थी।।
बिगड़े काम भी बन जाते हैं अगर माँ बाप का साथ हो तो। बिगड़े काम भी बन जाते हैं अगर माँ बाप का साथ हो तो।
वो खुलकर कहीं सच्चाई बदलनी चाहिए, खुलासा हो कहीं तो फिर स्याही बदलनी चाहिए। वो खुलकर कहीं सच्चाई बदलनी चाहिए, खुलासा हो कहीं तो फिर स्याही बदलनी चाहिए।
मिलता है तब हौसला मां से मुझे आवाज उनकी बन जाती है पुकार जिंदगी की। बस यही तो है मेरी मिलता है तब हौसला मां से मुझे आवाज उनकी बन जाती है पुकार जिंदगी की। बस यही...
दर्द से रिश़्ता पुराना हो गया। मुस्कुराये भी ज़माना हो गया।। दर्द से रिश़्ता पुराना हो गया। मुस्कुराये भी ज़माना हो गया।।
कभी न टूटे डोर मातृप्रेम का, ईश्वर चाहे तो ऐसा निश्चित हो। कभी न टूटे डोर मातृप्रेम का, ईश्वर चाहे तो ऐसा निश्चित हो।
को, तुम, मन और तन से, गुलामी से मुक्त हो जाओ। को, तुम, मन और तन से, गुलामी से मुक्त हो जाओ।
नारायण कहो श्री राम कहो , या बंसीधर घनश्याम कहो। नारायण कहो श्री राम कहो , या बंसीधर घनश्याम कहो।
अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए आत्मनिर्भर बन जा। कर पतन पतितों का चामुंडा अवतार धर। अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए आत्मनिर्भर बन जा। कर पतन पतितों का चामुंडा ...
मैं लाचारी सी बच्ची अक्ल की, थोड़ी सी मैं कच्ची मैं थाली में सो गई हूंँ। मैं लाचारी सी बच्ची अक्ल की, थोड़ी सी मैं कच्ची मैं थाली में सो गई हूंँ।
कई सरकारें आईं और गईं फिर भी सिस्टम नहीं सुधार पाई। कई सरकारें आईं और गईं फिर भी सिस्टम नहीं सुधार पाई।
बस आपको माना है जां जां आप पर वार दिखाऐंगेें। बस आपको माना है जां जां आप पर वार दिखाऐंगेें।
रोज रोज सबके अपने खो रहे देखो ! दिल्ली शहर का क्या हो रहा। रोज रोज सबके अपने खो रहे देखो ! दिल्ली शहर का क्या हो रहा।