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Anil Jaswal

Classics

3  

Anil Jaswal

Classics

असुरक्षित जिंदगी

असुरक्षित जिंदगी

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आज जिंदगी के,

ऐसे   मोड़ पर आ गया,

बहुत अकेेला हूं मैं,

कोई  साथी नहीं है,

कोई  देेेेखने वाला नहीं है,

अगर  हो जाऊं बीमार,

तो पूछनेे वाला नहीं है।


उपर  से,

साधनों की कमी,

नहीं कर सकता,

कोई इंतजाम,

हर समय,

तनाव में रहता,

इसी  कोशिश में लगा रहता,

किसी ओर का,

सहारा न लेेेना पड़े,

शरीर चलता रहे,

किसी कठिनाई में न फंसे।


अगर  ग़लती से,

पड़  गया बीमार,

तो कौन करवाएगा उपचार,

पड़ेे रहेंंगे बिस्तर पर,

वहीं हो जाएगा मलियामेट।


इस डर सेे दिलाने को छुटकारा,

सरकार उठाए,

कोई  कदम,

खोलेे एकलाधाम,

जहां रह सकें,

अकेले लोग,

बिना किसी भय के।



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