संपूर्ण भक्ति
संपूर्ण भक्ति
भक्ति का संपूर्ण रस,
आशिक के पास होता,
वो अपनी महबूबा को,
एक भगवान की,
मूर्त समझता।
वो उसपे गाने लिखकर,
शायरी लिखकर,
कहानी लिखकर,
नाटक लिखकर,
उसकी स्तुति करता,
उसे प्रसन्न करने की,
कोशिश करता।
इसमें दिन रात,
डूबा रहता,
उसको भूख प्यास तक,
नहीं लगती,
बस हर वक्त,
उसका आभास होता,
ऐसी जी तोड़ भक्ति,
एक आशिक के अलावा,
और कोई नहीं कर सकता।
जब उसका भगवान प्रसन्न हो जाता,
वो हवा में उड़ता,
उसमें अनंत ऊर्जा का,
संचार होता।
फिर वो नाचता गाता,
उसको ये दुनिया,
स्वर्ग जैसी लगती।
इस दुनिया में,
वो अपने भगवान के साथ,
ताउम्र रहना चाहता।