धड़कनों की बातें।
धड़कनों की बातें।
हम दोनों निकले,
ठंडे मौसम में,
घूमने फिरने।
हाथों में हाथ डाले,
ठंडी हवाओं से,
जूझते,
गाल और कान,
लाल हो चुके।
अचानक बर्फबारी शुरू,
दोनों बर्फ में भीगे,
एक गेस्ट हाउस में घूंसे,
कपड़े बदले,
कंबल में,
शरीर लपेटे,
आग तापने लगे।
दोनों की आंखें,
एक दूसरे पर,
धड़कने गुफ्तगू करने लगी,
आपस में मोहब्बत का पाठ,
पढ़ने लगी।
मेरी धड़कन बोली,
क्या हुस्न बनाया है,
शायद उपर वाला,
खाली होगा,
सारा का सारा,
वक्त इसे बनाने में,
दिया होगा।
उसकी धड़कन का जवाब आया,
ऐसी शाम कहां मिलती,
दोनों अकेले,
बीच में आग,
दिलों में भी आग,
अगर हो जाए,
मिलाप,
तो स्वर्ग से भी,
खूबसूरत,
बन जाएगा मुकाम।