बर्फानी रात
बर्फानी रात
सुबह उठा,
बाहर सब सफेद दिखा,
कुदरत मेहरबान हो चुकी थी,
बर्फ पड़ चुकी थी।
उसका फोन आया,
अपने पास बुलाया,
मैंने बिग पैक उठाया,
बाइक पर बैठा,
उससे मिलने निकला।
बहुत ठंड थी,
लेकिन उससे मिलने की,
गर्मी थी।
दिमाग में,
कहीं वो,
चल रही थी,
इसलिए ठंड भी,
कम लग रही थी।
आखिर उसके,
यहां पहुंचा,
बाइक स्टैंड पर लगाया,
और डोर वैल दबाया,
जबाव आया,
आ रही हूं,
तुम्हें ही,
याद कर रही हूं।
वो आई,
दरवाजा खुला,
आंखों से आंखों ने,
कुछ कहा सुना,
दोनों मदहोश,
लेकिन कोई,
हिला नहीं।
अचानक एक हवा का,
ठंडा झोंका आया,
टकटकी को,
उसने खत्म करवाया।
अगले पल,
वो मेरी बाहों में,
सारी सफर की,
थकान दूर।
महौबत की,
गुफ्तगू शुरू।
बहुत आनंद भरा,
माहौल,
हल्का हल्का संगीत,
दो काफी के मग,
दोनों एक दूसरे की,
बाहों में,
सामने अंगीठी में,
आग जल रही,
और दिलों की,
आग को,
और बढ़ा रही,
शाम ढल रही।