अगर हारूँ तो इस कदर के प्राण न्योछावर कर तरूँ सहनशीलता का एक बूंद भी मेरे शरीर में शेष न धरूँ अगर हारूँ तो इस कदर के प्राण न्योछावर कर तरूँ सहनशीलता का एक बूंद भी मेरे शरीर म...
आंख खोल कर भी विश्वास नहींं रखा जाता। आंख खोल कर भी विश्वास नहींं रखा जाता।
एक परिन्दा जो खोज रहा है खुदा का पता, उसके लिए गदृिश कि रौनक क्या काफी है? एक परिन्दा जो खोज रहा है खुदा का पता, उसके लिए गदृिश कि रौनक क्या काफी है?
रंगती हूँ पन्ने शब्दों से, काल्पनिक प्रेम के। रंगती हूँ पन्ने शब्दों से, काल्पनिक प्रेम के।
मौसम ने बदली है रंगत गुलाबी सी है ये दस्तक ! मौसम ने बदली है रंगत गुलाबी सी है ये दस्तक !
सिखा दिया है तुम ने मुझे प्यार कर ना अब खुद ही से खुद। सिखा दिया है तुम ने मुझे प्यार कर ना अब खुद ही से खुद।