STORYMIRROR

Archana Kewaliya

Abstract

4  

Archana Kewaliya

Abstract

शरद

शरद

1 min
234

मौसम ने बदली है रंगत

गुलाबी सी है ये दस्तक 


बदली बदली सी है फ़िज़ाएं 

महकीं महकीं सी हैं हवाएँ 


ख़ुशनुमा हो रहा माहौल 

रूमानी सी छायी हर ओर 


कुदरत ने ली है अंगड़ाई 

उमस तपन की हुई विदाई 


रातरानी चंपा और चमेली

हरसिंगार की महक है फैली


हल्की सी ठंडक है आई

खिली खिली धूप मुस्काई


चाय कॉफी की गर्म प्याली 

सौंधी सौंधी ख़ुशबू वाली


शरद ऋतु का संदेश है आया 

दिल में ज्यों उल्लास है छाया!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract