हिंदी दिवस
हिंदी दिवस


हिंद की संतान हम, शान हमारी हिंदी हैं ।
हिंदवी साम्राज्य हमारा, आन हमारी हिंदी है ।
रग रग में बसी है यह, जान हमारी हिंदी है ।
माँ भारती के माथे का, सुहाग भी तो हिंदी है ।
जन जन की बोलियों का, आधार भी तो हिंदी है ।
देशविदेशों में भी तो, पहचान हमारी हिंदी है ।
क्षेत्रीय भाषाओं की, जननी भी हिंदी है ।
कवियों और लेखकों की, लेखनी भी हिंदी है ।
दिनकर और निराला की, जीवनी भी हिंदी है ।
कश्मीर को कन्याकुमारी से, जोड़े वह भी हिंदी है ।
हर धर्म पंथ में समरसता का, भाव जगाती हिंदी है ।
एकता भाईचारे का, संदेश सुनातीं हिंदी है ।
भाषाएँ हैं कितनी पर, मातृभाषा हिंदी है ।
बिन हिंदी के हम जैसे, माथे से उतरी बिंदी है ।
क्यों मनाये हिंदी दिवस, जब हिंदी सबमें जिंदी हैं ।