प्रकृति वंदन
प्रकृति वंदन
आओ करे प्रकृति वंदन
इससे बढ़ कर नहीं कोई पूजन
ईश्वर का साक्षात है दर्शन
आओ करे
चारों ओर हरित है आँगन
पर्वत विराट नदियों का गायन
सागर विशाल और उन्मुक्त गगन
इनको देख प्रफुल्लित हर मन
आओ करे
नाचते पशु पक्षी है मगन
इनके बिना असंभव है जीवन
प्रकृति का प्यारा है बंधन
आनंदित है हर एक जन
आओ करे
केवल बातों में न हो वर्णन
हरदम करे हम ये स्मरण
मिल कर लेना होगा प्रण
नहीं करेंगे इसका शोषण
सहेजेंगे, सँवारेंगे हर क्षण
बचायेंगे करेंगे पोषण
आओ करे।