भारतभूमि परिचय
भारतभूमि परिचय


सुर्ख जहाँ केवल रक्त नहीं,भूमि भी जहाँ की लाल हुई थी।
काल भाल पर अस्त्र-हस्त ले,सिंह पे लक्ष्मी सवार हुई थी।
जहां स्वाभिमान की ओढ़ चुनर माँ-पद्मिनी ने गगन छेदा था।
जौहर की अग्नि में तपी-सती तलवारों ने शत्रु-वक्ष भेदा था।1।
जहाँ तप्त-तृप्त भूमि है,रंग माटी का है,जहाँ केसरिया।
जहाँ खेतों और सीमाओ पर, युवाओं का, हृदय है दरिया।
जहाँ अपनो ने अपनो का, अपनाया अपनापन अपार है।
जहाँ रिश्तो को तो छोड़ दो,भूमि से माँ तुल्य प्यार है ।2।
जहां भुजाएं नही है केवल,पुष्प-दान-गान की मुद्राएं ।
भुजबल-मनोबल-यशोबल से, लिखी है हमने महागाथाएं।
जहाँ सिंह-दंत गणना,बचपन की अठखेलियां है।
उस वीरत्व-अमर भारत की, भारतीयता विश्व्यापी पहेलियाँ है।3।
जहाँ हिमांचल-आँचल हो, सिर पर सम्मान का ।
पाँव-पखारे सागर, गिरा के गागर,विस्तृत अभिमान का।
दोनो भुजाएं छवि दिखाती,दया व आशीर्वाद का ।
जिसकी विचारधारा है पावन, दुनिया से मधुर संवाद का।
नही विश्व मे दिव्य,दयाशील, कुलीन राष्ट्र ऐसा ।
पुंलिङ्ग शब्द के साथ जुड़ा हो,माता शब्द भारत जैसा।4।