प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैया मुझे पसंद न प्रवास मैंने महज दस दिनों का दिल्ली में लिया अपनी जीविका चलाने को, रवैय...
क्यों नही देता अग्नि परीक्षा पुरुष नारी के सम्मान के लिए ! क्यों नही देता अग्नि परीक्षा पुरुष नारी के सम्मान के लिए !
लोगों की अर्चना हो जीवन की कल्पना हो किसी के कह देने से विचलित क्यों लोगों की अर्चना हो जीवन की कल्पना हो किसी के कह देने से विचलित क्यों
चाह बस इतनी कि हर दिल में स्वाभिमान जगाऊँ मैं। चाह बस इतनी कि हर दिल में स्वाभिमान जगाऊँ मैं।
मुस्कुरा आगे बढ़ क्योंकि तुझे नहीं मंजिल को तेरी तलाश है। मुस्कुरा आगे बढ़ क्योंकि तुझे नहीं मंजिल को तेरी तलाश है।
पढ़ने में सहज है, साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी। पढ़ने में सहज है, साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।