हिंदी
हिंदी
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
उर में छिपे भावों को सहजता से
व्यक्त करती है हिन्दी ,
राष्ट्र भावना में व्यक्त होती है हिन्दी।
दिप्ति ज्योति का प्रकाश है हिन्दी,
चन्द्रिका, आलोक का आभास है हिन्दी।
चकाचौंध में चमक, झिलमिलाहट है हिन्दी,
धूप चाँदनी में टिमटिमाहट है हिन्दी।
कौंध रही दूर गगन में,
दिल की खिलखिलाहट है हिन्दी।।
पर्यायवाची के सैंकड़ों शब्दो का आधार है हिन्दी,
निज ज्ञान की, हमारे स्वाभिमान की भाषा है हिन्दी।
संग्रहित विज्ञान की भाषा है ..हिन्दी,
पढ़ने में सहज है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।
