मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान
मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान
जाति – धर्म के नाम पर ,
भाषा,रंग ,प्रांत का ना कोई भेद -भाव हो
आरक्षण के नाम पर ,
विफल ना कोई इंसान हो ,
ना हो कहीं भी , कोई मार -काट,
ना हिंसा का कहीं नामोनिशान हो ।
ऐसा मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान हो
ऐसा मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान हो
जहां शिक्षित होकर ,मानव ,
दानव नहीं , इंसान हो ,
लूटपाट और बलात्कार का ना कोई नाम हो
जहां इंसान होकर कोई , बन जानवर ,
एक गर्भवती हथिनी को
धोखे से ना बारूद , खिलाते हो ,
जहां .... पढ़े लिखे हैवान न हो
ऐसा मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान हो
जहां जीवन सहज , सरल , सुगम हो ,
>झरनो सी निर्मलता झर जाये
सतरंगी स्वरों के शुभ प्रभात में,
मानो इंद्रधनुष बन जाये
लालिमा सी छा जाये ... जी
और तिमिर के घोर पुंज में,
प्रेम शब्द आशा के दीप बन जाये
ऐसा मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान हो
कहां है वो मेरा हिंदुस्तान ?
ढूंढ रही हूं मैं ..... उसको
जहां थे तुलसी और कबीर
जायसी जैसे पीर फकीर
जहां थे मोमिन, गालिब, मीर
जहां थे रहमत और रसखान
जहां मुसलमां और हिंदू थे एक जान
ऐसा हो मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान ।
ऐसा हो मेरा ख़्वाबों का हिन्दुस्तान ।