Renuka Chugh Middha
Drama
जिन्दगी में बहुत ग़म थे
फिर भी मैं पी गया
बहुत हसरतें रही बाक़ी
फिर भी मैं जी गया !
किसान
स्त्री
सैनिक
दर्द नहीं, सु...
हिन्दी
थैंक्यू टीचर
मेरा ख़्वाबों...
ज़िन्दगी
कोरोना को हरा...
कोरोना योद्धा...
प्रकृति , पार्वती , सीता के रूप में आदरांजलि के लिए। प्रकृति , पार्वती , सीता के रूप में आदरांजलि के लिए।
हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई ! हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई हाँ, मेरी मेहबूबा बदल गई !
कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं। कि चले जाओ वही जहाँ ये रूह-ए-एहसास, अब रहती नहीं।
पुरुषोत्तम श्री राम भी आये गिरधारी घनश्याम भी आये पुरुषोत्तम श्री राम भी आये गिरधारी घनश्याम भी आये
फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ? फिर तुम्हीं कहो इसका भविष्य क्या होता ?
इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी। इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी।
लंका में अग्निकांड भी मैं था लंका में अग्निकांड भी मैं था
इसी से ही जीवन में उन्नति खुशहाली है आनी क्योंकि धरती और मैं विश्व की महतारी हूँ इसी से ही जीवन में उन्नति खुशहाली है आनी क्योंकि धरती और मैं विश्व की महतारी ...
उसके हिस्से की ख़ुशियाँ रौंदकर, ठहाके लगाते हैं झूम झूमकर। उसके हिस्से की ख़ुशियाँ रौंदकर, ठहाके लगाते हैं झूम झूमकर।
किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा। किसी को प्रेम लिप्त करा दे, और परलोक भिजवा देता पैसा।
कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में। कान्हा का जन्मदिन है, ओ बड़ी धूम मची ब्रज में।
बहुत जल्द मेरी तुम्हारी अधूरी मोहब्बत से आखिरी मुलाक़ात होने वाली है। बहुत जल्द मेरी तुम्हारी अधूरी मोहब्बत से आखिरी मुलाक़ात होने वाली है।
कई बार दोस्तों से खेल खेल में कट्टी और फिर अब्बा किया करते थे कई बार दोस्तों से खेल खेल में कट्टी और फिर अब्बा किया करते थे
और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में। और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में।
बिन ब्याही औरत किसी मर्द के साथ रहे तो वह 'रखैल' हुयी.. बिन ब्याही औरत किसी मर्द के साथ रहे तो वह 'रखैल' हुयी..
शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता, उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमदम होता। शाम की चाय साथ पीने वाला काश कोई साथी होता, उम्र के इस पड़ाव में काश कोई हमद...
अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर ! अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर !
रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ रोचक शास्त्र मैं वर्तमान की वार्ता कहता हूँ
अब जब मैं जब गीले बाल से ही रसोई में घुसती हूँ तुम सी ही लगने लगती हूँ माँ... अब जब मैं जब गीले बाल से ही रसोई में घुसती हूँ तुम सी ही लगने लगती हूँ माँ...
बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्तेदारियां बड़ी भाती थी मुझे माँ और बच्चों की गतिविधियां जैसे मेरी जुड़ चुकी थी उनसे रिश्त...