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Renuka Chugh Middha

Inspirational

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Renuka Chugh Middha

Inspirational

हिन्दी

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मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम गाते ... हंसते हो 

मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपने सुख दुख रचते हो। 


मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम सपने अपने बुनते हो

मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते हो।


मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुमने अपना बचपन खेला है, 

मै वो भाषा हू जिसमें तुमने यौवन -प्रीत के पाठ पढ़े 


सब सीखे मुझसे ही सारा ज्ञान वलल्हा, 

मेरे शब्द खजाने से फिर करते खूब हल्ला।


उर्दू मासी के संग भी खूब सजाये कॉलेज मंच,

रची शायरी प्रेमिका पे,और रचाए प्रेम -प्रपंच।


आंसू मेरे शब्दों के और प्रथम प्रीत का प्रथम बिछोह,

पत्नी और बच्चों के संग फिर, मेरे भाव के मीठे मोह !


सब कुछ कैसे तोड़ दिया और सागर पार में जा झूले,

मैं तो तुमको भूल न पाई, कैसे तुम मुझको हो भूले।


भावों की जननी हूँ मैं, मैं थी रंग तिरंगे का,

जन-जन की आवाज भी थी, स्वर थी भूखे नंगों का । 


फिर क्यों एक पराई सी मैं, यों देहरी के बाहर खड़ी,

इतने लालों की माई मैं, फिर क्यों इतनी असहाय पड़ी। 


मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम हंसते -गाते हो,

मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपने जीवन -राग सुनाते हो।


अन्त मे कहना चाहूँगी :- 

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय का शूल।


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