बंसी
बंसी
बाँसुरी मधुर तो बजाके गया
राधिका का चैन चुरा के गया।
ढूँढ रही है राधा बंसी को
श्याम तो वंशी छुपा के गया।
बंसी तो राधा मन ना भाये
श्याम जो उसे अधर पर लगाए
रूठ चली है बरसाने वाली
दूर बैठी है मुँह को फुलाए।
बाँसुरी मधुर तो बजा के गया
राधिका का चैन चुराके गया।
कान्हा मनाते मान जा राधा
श्याम बिन राधा के है आधा।
बोल रहे कान्हा सुन तो राधे
वंशी का सुर तेरे लिए साधा।
बाँसुरी मधुर तो बजा के गया
राधिका का चैन चुरा के गया।।
