असली पावर
असली पावर
आओ तुमको मैं सुनाऊँ एक अद्भुत नयी कहानी।
नहीं है इसमें कोई राजा न ही परियों की रानी।
एक नगर में एक समय एक लोभी व्यक्ति रहता था।
एक एक पाई बचाने को सब तकलीफें सहता था।
परिवार भी उसका इस आदत से था बड़ा परेशान।
अत्यंत धनी होकर भी उसको नहीं मिले सम्मान।
कपडे जेवर खाने पीने सब में करता बड़ी कटौती।
कैसे सबसे धनी बनूँ मैं हरदम केवल यही चुनौती।
रात-दिन बस यही सोचता कहाँ कमाऊँ और पैसा।
कैसे क्या मैं काम करूँ जो और न कोई मेरे जैसा।
एक दिन उसके घर आये बहुत बड़े एक बाबा ज्ञानी।
अन्तर्यामी बाबा ने बिन पूछे ही बात समझ जानी।
बोले बाबा मैं तुझको एक सुपर पावर दे देता हूँ।
कर कामना तेरी हर पूरी चिंता तेरी हर लेता हूँ।
आज से तू जो कुछ छुएगा वो सोना बन जायेगा।
इतना धन मिलेगा तुझको कि कोई गिन न पायेगा।
बड़ा प्रसन्न हो सेठ चला सुपर पावर को आजमाने।
हर चीज़ को सोना बना दौलत अथाह कमाने।
सर्वप्रथम उसने छुआ एक पत्थर बहुत बड़ा।
छूते ही स्वर्ण हुआ तो सेठ हर्ष से चीख पड़ा।
भारी से भारी वस्तु खोजे दौड़े भागे इधर उधर।
कितना ही सोना बना लिया चैन न आये उसे मगर।
आखिर थोड़े समय के बाद थक कर वो चूर हुआ।
पर पाकर इतना सोना भी लोभ अभी न दूर हुआ।
आखिर भूख प्यास से व्याकुल वापस घर में आया।
बैठ के आसन पर पत्नी से जल-भोजन मंगवाया।
स्पर्श किया लोटा पानी का वो भी हो गया सोना।
न संभव उसको पीना और न हाथों को धोना।
चावल दाल भी स्वर्ण हुए उसके हाथों में आकर।
लेकिन पेट नहीं भरता है सोने के चावल खाकर।
भूखा प्यासा बैठा सेठ कुछ भी समझ न आये।
मुझे नहीं चाहिए ऐसी पावर जोर जोर से चिल्लाये।
सुन कर उसकी चीखें नींद से जागे सब घर वाले।
देख सेठ को दौरा सा पड़ते मुँह पर पानी डाले।
उठा सेठ तो समझा की ये केवल था सपना।
सब कुछ वैसा का वैसा था जैसे पहले था अपना।
लेकिन अब वो समझ गया संतोष है असली सोना है।
धन के पीछे भाग भाग कर जीवन को न खोना है।
सच्चा ज्ञान ही इस दुनिया में असली पावर होता है।
ज्ञान मिले तो फिर व्यक्ति संस्कार कभी न खोता है।