इश्क़ आज कल
इश्क़ आज कल
कहने को सौ यार बनाये, दिल खाली और अकेला है।
इश्क़ मोहब्बत भूल गए सब, बस फेक फ़्लर्ट का मेला है।
टिंडर पर सजता रंग रूप, फ़िल्टर से चढ़ी जवानी है।
इंस्टा स्टोरी पर चढ़ रही, हर दिन अब नई कहानी है।
कमिटमेंट से डर लगता है, सिचुएशनशिप का बहाना है।
मन से मन जब मिला नहीं तो, बस रोज नया अफसाना है।
लिव इन में रहने वालों में, क्या निष्ठा और समर्पण है।
बात बात पर टूटे रिश्ता, ज्यूँ कच्चा कोई दर्पण है।
पल दो पल भी टिक ना पाए, ये कैसी इश्क़-मोहब्बत है।
नित नित सूरत नई लुभाए, ये कैसी इश्क़-मोहब्बत है।
ये समझो इश्क़ इबादत है, चाहत का रंग निखरता है।
ये नूर ख़ुदा का पाकीज़ा, जो रोशन दिल को करता है।

