वहीं मंदिर बनाया है
वहीं मंदिर बनाया है
वहीं मंदिर बनाया है
अनूठा आज मंगल है, अपरिमित हर्ष छाया है।
जहाँ वादा किया था अब, वहीं मंदिर बनाया है।
चलो सब लोग मिल कर के, सुमंगल गीत गाते हैं
सजा पुष्पों से घर अपने, दिये घी के जलाते हैं।
बड़ी लंबी तपस्या का, अभी वरदान पाया है।
जहाँ वादा किया था अब, वहीं मंदिर बनाया है।
बसे हैं राम मन मंदिर, मगर सपना अधूरा था।
परीक्षाएँ कठिन थीं पर, हमें विश्वास पूरा था।
बड़े संघर्ष बलिदानों, से शुभ दिन आज आया है।
जहाँ वादा किया था अब, वहीं मंदिर बनाया है।
सनातन सत्य सूरज से, प्रकाशित देश सारा है।
मिला है आज वो हमको, जो सदियों से हमारा है।
हज़ारों साक्ष्य प्रस्तुत कर, अदालत को मनाया है।
जहाँ वादा किया था अब, वहीं मंदिर बनाया है।
यहाँ कुछ लोग ऐसे हैं, जो बाबर की जुबां बोलें।
चलो सब बंद आँखों को, दिखा दर्पण ज़रा खोलें।
नया इतिहास भारत का, ज़माने को पढ़ाया है
जहाँ वादा किया था अब, वहीं मंदिर बनाया है।
स्वरचित
विवेक अग्रवाल 'अवि'