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Anil Gupta

Inspirational

4  

Anil Gupta

Inspirational

कविता

कविता

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" आ बहन आशीष दे '"


आ बहन आशीष दे 

जल्दी बड़ा हो जाऊँगा 

तू लगा लंबा तिलक 

हर वर्ष जल्दी आऊँगा ।

कितना पावन दिन है यह

जिसने हमें सब कुछ दिया

स्नेह की गंगा दिलों में

मन में शीतल स्निग्धता

जितना माँ के पास हूँ

उतना ही तुझसे भी निकट

हाथ से खाने कलेवा

दौड़ कर मैं आऊंगा 

आ बहिन आशीष दे

जल्दी बड़ा हो जाऊंगा

भाई दूज के लिए आया हूँ 

बहना दूर से 

हाथ से खाऊंगा खाना 

लड्डू मोती चूर के

प्रेम का सागर हमारे बीच 

है लहरा रहा 

इसलिए तो आज यह

विश्वास भी गहरा रहा

आरती की थाली ला सुंदर 

तिलक लगवाऊंगा

तेरी खुशहाली को में ईश्वर 

से भी लड़ जाऊँगा 

आ बहन आशीष दे 

जल्दी बड़ा हो जाऊँगा ।



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