कविता
कविता
माताजी
प्रभु श्री कृष्ण की
अनन्य भक्त हैं
वे कबसे कर रही हैं
आँगन में तुलसी का
पौधा लगाने की
मगर रोजमर्रा की
भाग दौड़ के बीच
मैं उनकी बात को
आज कल पर टालता रहा
मगर एक दिन
उन्होंने
गुस्से में आकर कह दिया
तू तुलसी का महत्व
नही समझता इसीलिए
उसके प्रभाव से अनजान है
यदि आज तू नही लाया
तो में खुद ले आऊँगी
तब मैं
उन्ही के साथ जाकर
उनकी पसंद को
घर ले आया
कुछ ही दिनो बाद
मुझे सचमुच
परिवर्तन नजर आया
जो पौधे
पहले से घर मे लगे थे
उनमें भी तुलसी के कारण
ज्यादा ऊर्जा नजर आई
घर के सभी सदस्य
अब प्रसाद के साथ
तुलसी का यानी
दिव्य औषधी का
सेवन करने लगे
अब में यकीनन
कह सकता हूँ कि
यह मेरे जीवन का
यादगार पल है
जबसे मैंने आँगन में
तुलसी का पौधा रोपा हे
तबसे घर और जीवन मे
बहार आ गई है ।