कविता
कविता
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हाथ जोड़ कर
माँ शारदे का
करते हम अभिवादन
हे वीणा वादिनी माता
हमको ऐसा एक वर दे दे
तेरी करे आराधना माता
प्राण देह से निकले
तूने ज्ञान दिया ऐसा
खोले अंतर्मन चक्षु
तेरी साधना से हमको
इस जग में रहने की
मिली प्रेरणा तुझसे
दे आशीष हमे माता
जग में कर जाए ऐसा
ऋषि मुनि के संग बैठे
कुछ पुण्य मिले हमे ऐसा ।