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Anil Gupta

Romance

3  

Anil Gupta

Romance

कविता

कविता

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लगा के मेंहदी वो

चिलमन में 

मुँह छिपाए बैठे हैं 

सबके सामने मुँह खुला हुआ 

और 

हमारे सामने पर्दा नशिनी

यह कैसा दौर है इश्क का 

जो चाहता है 

उससे सूरत छुपाई 

जा रही है 

बाकी को दिखाई जा रही है 

यह कैसा दौर है रब्बा 

इधर हमारा दिल काबू में नही है

उधर महबूब का चेहरा 

बांस के पर्दे यानी

चिलमन में छिपा हुआ है

हमे खूबसूरत मेंहदी

तो दिखाई जा रही है

मगर वह किसे लगी है 

वह मुस्कुराता चेहरा 

नही दिखाया जा रहा 

ए मौला 

अब और इंतजार सहा नही जाता

या तो यार का दीदार करा दे 

या 

इस जमी से हमे उठा ले ।


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