झील के जल से ठहरी
झील के जल से ठहरी
झील के जल सी ठहरी है एक जिन्दगी,
आकर इसे अब ठहरा दीजिए,
जिन्दगी मेरी अधूरी सी लगे,
एक बार आकर मना लीजिए।
घनघोर घटाऐ ,बूँदो का बरसना,
मन का बहकना तन का तडपता,
नैनो मे गुजर जाये राते हमारी,
मेरे पहलू मैं आकर बैठ जाइए।
मुद्दतो से हमारा मिलन ना हुआ,
रूठे दिल को यूँ ओर ना तडपाइऐ,
दिल से दिल का हो आमना सामना,
मन की उलझन मिटा दीजिए।
रूठी रूठी सी है आज चाँद से चाँदनी,
प्यार की महक से इसे महका दीजिए,
रतजगा आँखो का आकर देखिए,
रूठे मन पर प्यार की बौछार कर दीजिए
रूठने, उलझने से है क्या फायदा,
फूलो पर भ्रमरो को मंडराने दीजिए,
खुशबू से महकने लगेगा मन-बागबाँ,
प्यार से इसे कभी सहला दीजिए।
घनघोर घटाऐ बिन बरसे गुजर गई,
प्यासे दिल को कुछ हरा कर दीजिए,
मन रूखा रूखा सा रहा तुम बिन मेरा,
प्यासे मन की आग बुझा दीजिए। ।