Dr Rajmati Pokharna surana
Abstract
बसंत ऋतु आई है,
कलियाँ मुस्कराई हैं,
सोलह श्रृंगार से सजी क्यारियाँ,
ओ रे पिया तेरी याद आई है।।
बरसाते
झील के जल से ...
होली के रंग
रंगोत्सव
तुम हो कहाँ ?
हाँ, मै जानती...
तुम रूठा ना क...
फूलों से खुशब...
कलियाँ
ओ रे पिया
गिरते, फ़िर उठ ना पाते चुका चुके जीवन अपना मुझको सुपरमैन बनाते पापा। गिरते, फ़िर उठ ना पाते चुका चुके जीवन अपना मुझको सुपरमैन बनाते पापा।
वेद, पुराण व शास्त्र ॐ है, संकट में ब्रह्मास्त्र ॐ है। वेद, पुराण व शास्त्र ॐ है, संकट में ब्रह्मास्त्र ॐ है।
शहर में दम-सा घुटने लगा है, आओ!चलें अब गांव की ओर। शहर में दम-सा घुटने लगा है, आओ!चलें अब गांव की ओर।
काली रातें करते हैं रौशन अपनी रचना चाँद को अब उसके लफ़्ज़ों में यूँ ढालते हैं। काली रातें करते हैं रौशन अपनी रचना चाँद को अब उसके लफ़्ज़ों में यूँ ढालते हैं।
अमर हो गये गीधराज अमर कर गए अपना नाम। अमर हो गये गीधराज अमर कर गए अपना नाम।
दुनिया में खुशहाली छा जाएगी हर ओर, सब सुपरमैन सी खुशियां बांटेंगे चहूं ओर। दुनिया में खुशहाली छा जाएगी हर ओर, सब सुपरमैन सी खुशियां बांटेंगे चहूं ओर।
और बादशाह राजकुमारी को ले लौट आया अपने राज्य। और बादशाह राजकुमारी को ले लौट आया अपने राज्य।
ये तो वही बात हुई कि बबूल के पेड़ से आम की कल्पना जैसा। ये तो वही बात हुई कि बबूल के पेड़ से आम की कल्पना जैसा।
और हमारे जीवन को बना देते हैं दुखमय धीरे.....धीरे। और हमारे जीवन को बना देते हैं दुखमय धीरे.....धीरे।
अपनी ज़िंदगी को ख़ुद सवारने लगोगे ! अपनी ज़िंदगी को ख़ुद सवारने लगोगे !
होती सुख की चाहत सबको, न दुखाएं हम किसी का दिल। होती सुख की चाहत सबको, न दुखाएं हम किसी का दिल।
बात सम्हाले रखना तुम तब ही तो बच पाओगे मुझसे तुम। बात सम्हाले रखना तुम तब ही तो बच पाओगे मुझसे तुम।
कभी फूल बन मन को सुवासित कर जाऊँ, मन का हर कोना कोना मैं महकाऊं, कभी फूल बन मन को सुवासित कर जाऊँ, मन का हर कोना कोना मैं महकाऊं,
गुलामी तुक की करता है, अपनी शादी के बाद।। वह क्या खूब फबता था-------------------।। गुलामी तुक की करता है, अपनी शादी के बाद।। वह क्या खूब फबता था----------------...
जिन्होंने एक ही डंडे से अंग्रेजों को भगाकर पूर्ण दुनिया हिला डाली। जिन्होंने एक ही डंडे से अंग्रेजों को भगाकर पूर्ण दुनिया हिला डाली।
या फिर बोलती आँखों को जिसमें छिपा है राज गहरा। या फिर बोलती आँखों को जिसमें छिपा है राज गहरा।
फिर भी तितलियों को छोड़ कलियों को देखा हैं फिर भी तितलियों को छोड़ कलियों को देखा हैं
इस ज़ीस्त के पलों को जलाने में रह गया वो सिर्फ रुपये पैसे कमाने में रह गया इस ज़ीस्त के पलों को जलाने में रह गया वो सिर्फ रुपये पैसे कमाने में रह गया
करते हैं मुझसे यहाँ सभी नफरत, आप ऐसा क्यों सोचते हो। करते हैं मुझसे यहाँ सभी नफरत, आप ऐसा क्यों सोचते हो।