तुम हो कहाँ ?
तुम हो कहाँ ?
मुहब्बत जब होने लगी जवाँ,
ख़ुशबू के रंग भरने लगी फ़िजाँ ,
प्रीत का मौसम छाने लगा,
तुम हो गई मुझसे ज़ुदा,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?
आँसूओं को संभालूँ कैसे,
दिल को समझाऊँ कैसे,
नींद आँखों से हुई ओझल ,
रूलाती है रात की ख़ामोशी,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?
समेट लेती हूँ मन का कोना,
समेट लेती हूँ आँखों का सपना,
कैसे बीतता है हर पल मेरा,
स्मृतियों में खो जाता मन मेरा,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?
ऐसी भी थी क
्या मज़बूरी,
बना ली तुमने मुझसे दूरी,
मिलना-बिछड़ना,मनमर्जिया,
याद आता बस तेरा ही चेहरा,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?
साथ तेरे तब हम कितना हँसते,
दूर हुए अब क़िस्मत पर रोते
कहाँ ख़बर थी मुझे तू भूलेगा ,
तमाम रिश्ते तू तोड़ जायेगा,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?
चाहूँ तो और शख़्स मिल जायेगा,
तेरे इश्क की बेदर्दी मिटा जायेंगा,
कब ,कौन शख़्स दिल पर दे दस्तक,
मुहब्बत में मुझे मिल जायेगा,
तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,
तुम हो कहाँ ?