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Dr Rajmati Pokharna surana

Romance

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Dr Rajmati Pokharna surana

Romance

तुम हो कहाँ ?

तुम हो कहाँ ?

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मुहब्बत जब होने लगी जवाँ,

ख़ुशबू के रंग भरने लगी फ़िजाँ ,

प्रीत का मौसम छाने लगा,

तुम हो गई मुझसे ज़ुदा,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?

आँसूओं को संभालूँ कैसे,

दिल को समझाऊँ कैसे,

नींद आँखों से हुई ओझल ,

रूलाती है रात की ख़ामोशी,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?

समेट लेती हूँ मन का कोना,

समेट लेती हूँ आँखों का सपना,

कैसे बीतता है हर पल मेरा,

स्मृतियों में खो जाता मन मेरा,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?


ऐसी भी थी क्या मज़बूरी,

बना ली तुमने मुझसे दूरी,

मिलना-बिछड़ना,मनमर्जिया,

याद आता बस तेरा ही चेहरा,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?


साथ तेरे तब हम कितना हँसते,

दूर हुए अब क़िस्मत पर रोते

कहाँ ख़बर थी मुझे तू भूलेगा ,

तमाम रिश्ते तू तोड़ जायेगा,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?


चाहूँ तो और शख़्स मिल जायेगा,

तेरे इश्क की बेदर्दी मिटा जायेंगा,

कब ,कौन शख़्स दिल पर दे दस्तक,

मुहब्बत में मुझे मिल जायेगा,

तुम को ढूँढता हूँ यहां-वहां,

तुम हो कहाँ ?


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