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Meenakshi Suryavanshi

Romance

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Meenakshi Suryavanshi

Romance

शहर से दूर

शहर से दूर

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मैं अकेली पथिक पर रुकी न कहीं

इस सफर में मेरा हमसफ़र भी नहीं

ये तनहाईयाँ तुझको न परेशां करें

मैं तुझको शहर से दूर ले जा लूँ कहीं.... 


 तेरे इश्क़ में तो कांटों पर ही चली 

 तेरी इन यादों को दिल में समाई

 शूल चुभते हैं चुभने दे मुझ को मगर

 मैं तुझको शहर से दूर ले जा लूँ कहीं.... 


मौन को तेरे मैं एक स्वर दे सकूँ

प्यार के तुझ को कुछ प्रहर दे सकूँ

प्यार तुझ से है सबको बता जाऊँ मैं

मैं तुझको शहर से दूर ले जा लूँ कहीं.... 


तेरी जिंदगी बनकर संवर जाऊँ मैं

कहीं अंतर में तेरे समा जाऊँ मैं

हाँ सदियों से तेरी मैं हो कर रही

मैं तुझको शहर से दूर ले जा लूँ कहीं.... 


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