STORYMIRROR

Meenakshi Suryavanshi

Crime

4  

Meenakshi Suryavanshi

Crime

आखिर क्यों?

आखिर क्यों?

1 min
274

क्यों किया तूने ऐसा

जला दिया मेरा चेहरा

सुंदरता मेरी दागी कर दी

पूरी मेरी बर्बादी कर दी

तुझ जैसे मतलबी इंसान से

क्यों मैंने प्यार किया,

मैं उस पल को कोसती हूं

जब तेरी नजर मुझ पर पड़ी

कितनी खुश थी मैं

तेरी चाल से अनजान थी

मां पापा की गुड़िया

खुशियाँ सारी छिन ली 

जीने से मुख मोड़ गई

गलती शायद मेरी थी

जो तेरा प्यार देख ना सकी

तेरा इज़हार था मेरा इंकार था

बस इतनी सी बात थी

दिया तेजाब मेरे मुंह पर फेंक

ऐसा करके बोलो क्या मिला तुमको

खुशहाल थी मेरी जिंदगी

हंसती इतराती फिरती थी

मैं नादान समझ ना सकी तुझे

कोई बताओ मुझे

मेरे इंकार करने की सजा पर

क्यों दे गया मुझे

जिंदगी भर का नासूर

गम ही गम भर दिए जीवन में मेरे

खूबसूरती ही अब मेरी दुश्मन बन गई

नफरत हो गई इस आईने से

आखिर क्या कसूर था मेरा आखिर

क्यों तू इतना मतलबी बन गया??



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime