बेटी पराई है
बेटी पराई है
जिस घर में मेरा जन्म हुआ,
वही एक दिन पराया है।
लोग कहते हैं यह दुनिया की रीत है,
इसको सब ने निभाया है।
पढ़ लिख कर जब मैं काबिल हुई,
मुझे दूसरे घर जाना है।
जन्मदाता के लिए कुछ कर न सकी,
अब इसी घर को अपनाना है।
सारा दिन चाकरी करूं इन लोगों की,
फिर भी कहें तुमने किया ही क्या है।
इनसे अच्छे तो मेरे मां-बाप थे,
बिना कुछ किए भी मुझे
सर आंखों पर बिठाया है।
पति कहे तुम मुझसे हो,
जितनी जल्दी हो सके जान लो।
तुम्हें रहना है मेरे संग जिंदगी भर,
जो मैं कहूं वह मान लो।
मुझे अपना कह कर,
मेरे विश्वास को तोड़ा गया।
सिर्फ नाम के लिए,
मुझसे रिश्ता जोड़ा गया।
भगवान तूने यह कैसी रीत बनाई है,
जिस घर में बिटिया जन्म ले,
उसी घर में पराई है।
