मैं वापस लेती हूँ
मैं वापस लेती हूँ
मैं तेरी-मेरी बातों के,
अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ।
थक आज गयी हूँ मैं इतना,
कि थकान भी वापस लेती हूँ।
मैं अपने प्यारे बचपन की,
हर सिहरन वापस लेती हूँ।
रुककर तेज़ हुई थी जो,
हर धड़कन वापस लेती हूँ।
सोलह वर्ष की मासूम अदा,
और नज़र भी वापस लेती हूँ।
तेरे होने से होती थी,
वो खुशी भी वापस लेती हूँ।
जीवन के सबसे सुंदर,
कुछ साल थे, वापस लेती हूँ।
इन आँखों का गीलापन,
हर हाल में वापस लेती हूँ।
अनमोल, अलग और बचकाना,
वो प्यार मैं वापस लेती हूँ।
अपने हर कण पर दिया हुआ,
अधिकार मैं वापस लेती हूँ।
बिना इज़ाज़त महसूस किया,
हर एहसास मैं वापस लेती हूँ।
हर दुआ में अब भी रहता है,
वो नाम मैं वापस लेती हूँ।
इश्क़ करूँगी तुझसे बस,
ये वादा वापस लेती हूँ।
तोड़ लिया था खुद से जो,
वो नाता वापस लेती हूँ।
हाँ, सच है ये कि कोई इतना,
करीब कभी नहीं आएगा।
हाँ, सच है ये कि कोई चेहरा,
दिल को अब नहीं भाएगा।
बन्द आँखों से जो होता है,
दीदार मैं वापस लेती हूँ।
मैं मेरी जितनी तुझमें थी,
अब तुझसे वापस लेती हूँ।
अजनबी आज से तू है,
मेरी पहचान मैं वापस लेती हूँ।
छोड़े हैं जो जलते से,
निशान मैं वापस लेती हूँ।
हँसती, गाती, प्यारी सी,
बंजारन वापस लेती हूँ।
समझदार हो जाऊँगी आखिर,
अब बचपन वापस लेती हूँ।
जो आया है यहाँ उसको,
साँसें पूरी करनी तो है,
बांध दिया जिनमें हमको,
माँगे पूरी करनी तो है।
पर आज अभी हर इच्छा से,
ख्वाहिश मैं वापस लेती हूँ।
पलकों पर रख एहसासों की,
नुमाइश मैं वापस लेती हूँ।
मेरी नज़रों में जो तेरी थी,
इज़्ज़त वो वापस लेती हूँ।
गैर मुल्क़ सा तू है, और
सरहद मैं वापस लेती हूँ।
सीने में है जो छिपा रखे,
वो राज़ मैं वापस लेती हूँ।
तुझपे खत्म जो होता है,
संसार मैं वापस लेती हूँ।
दीवार, दराज़ और कमरे की,
पुरानी बातें वापस लेती हूँ।
याद भी न करना मुझको,
मैं यादें वापस लेती हूँ।।