बाबुल की गलियां
बाबुल की गलियां
अभी भी है वह बाबुल की गलियां,
जहां मैं हर वक्त थी खिली कलियां।
जहां थी मैं सबकी प्यारी,
मां की गुड़िया पापा की राजकुमारी।
बहन की जान थी भाई का अभिमान थी,
दूसरे नंबर की बेटी मैं घर का सम्मान थी।
क्या गलती थी मां ने बेटी को जन्म दिया,
जन्मते ही कुछ लोगों ने पराया कह दिया।
मां से मैंने सवाल किया,
क्या मां मैं सच में पराई हूं?
नहीं बेटा तू है दिल का टुकड़ा,
मेरा यकीन कर मैं तेरी माई हूं।
मां ने बेटा कहा मैं खुशियों से भर गई,
मेरी खुशी देख मां मेरी तर गई।
मुझे आजादी मिली बेटों सा आगे बढ़ाया गया,
बिना दहेज शादी हुई सिर्फ अच्छत चढ़ाया गया।
एक बार फिर से मैं पराई कही गई,
फिर भी अपने मां की कोख जाई कही गई।
मैंने पराया शब्द इस कदर मिटा दिया,
बेटे से बढ़कर हूं यह मैंने दिखा दिया।
मायके और ससुराल की जिम्मेदारियां ,
अच्छे से निभा रही।
आज मैं बेटी होकर भी,
बेटों जैसा करके दिखा रही।
आज भी मेरे बाबुल की गलियां बरकरार है,
रिश्ते सच्चे हैं और सब में खूब सारा प्यार है।