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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

कर्ण ना लड़

कर्ण ना लड़

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जो दिया वचन कर्ण ने दूँगा दर्योधन का साथ।

चाहें ईस्वर से लड़ना पड़े,मिथ्या न हो बात।

कर्ज दोस्ती का चुके फिर चाहे जाए ये जान।

ईस्वर से भी कह दिया ऐसा था कर्ण महान।


दोनों ओर यौद्धा लड़े छोड़ मान सम्मान।

भाई भाई का ले रहा  देखों कैसे प्राण।

किया गुनाह ये की देख अधर्म होते रहा मौन।

इसलिए ऐसी परिस्थिति बनी ईस्वर बने गौण।


धर्म अधर्म के लड़ाई में श्रीकृष्ण रहे धर्म संग।

गुरु बनकर युद्ध मे शिक्षा दिए हुए कौरब दंग।

नीति अनीति जानते फिर क्यों अधर्म के साथ।

दोस्ती के एहसानों में देखों कर्ण कैसे आज।


मान अपमान की बात नही कर्ण एसो दानी।

अपने कुंडल कवच दे दिया सुनों जरा कहानी।

निज कर्म से बना रहा कुटिलो में फिर भी संत।

कर्ण दान से अमर हुआ भले हो शरीर का अंत।।


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