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Chandresh Chhatlani

Inspirational

5.0  

Chandresh Chhatlani

Inspirational

नदी सरीखी

नदी सरीखी

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मैं यादों को याद करूँ तो

उन्हें देख पाता हूँ एक नदी की तरह

अपनी न बदलती हुई राह पर

समय की परवाह किये बिना

ठहरने के बेवजह प्रश्न को भूल कर

हर क्षण मेरे ही साथ चलती है


समा लेती है खुद में

कंकड़-पत्थर-फूल-राख

और कूड़ा भी

लेकिन फिर भी रखती है

पूरी तरह साफ़ अपना पानी

देख पाता हूँ पानी के साथ

साफ़-साफ उसका तल भी


मैं यादों को भूल नहीं पाता

क्योंकि मिल चुकी है यह नदी

मेरे जीवन के समुद्र में

और हर क्षण ले आती है

कुछ नयी और ताज़ी बूँदें

... कभी हृदय में

... कभी आँखों में


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