माँ
माँ
माँ
एक शब्द
अर्थ अनेक
वात्सल्य, ममता, प्यार
और
डांट-फटकार में
छिपा है हित..
माँ
भगवान का रूप नहीं
उसका प्रतिबिम्ब है,
वरना क्यों
भजती भगवान
कल्याणार्थ हेतु
जितना उसके सामर्थ में
नहीं पुकारती ईश्वर,
खुद को होम देती
अपने जाये पर
बचा-खुचा
उसके पिता को
उत्त्प्रेरित करती संतान
के कल्याण हेतु
उसकी अदालत में
संतान है निर्दोष
यह फैसला
पूर्वनिर्धारित है
अदालत लगने
से पहले ही
यदि होता हक़
भाग्य लिखने का
तो नहीं होती किसी जाए को
कोई, कैसी भी तकलीफ़
ऊपर वाले के लिखे को भी
अपनी ममता की छाँव
से ढकती और
करती है दूर
माँ के लिए
संतान प्रमुख प्रथम है
बाकी है सब गौण