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Raja Singh

Romance

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Raja Singh

Romance

चाहतें

चाहतें

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प्यार करने को

बार-बार जाती है चाहतें

अनुनय, विनय और अनुरोध

करती है, मगर

फिर भी निगाहें करम

नहीं होती है चाहतें


भगवान, ख़ुदा, गॉड और

गुरु से

दुआएँ, मिन्नतें, फरियादें की

असर कहाँ होता है

हिकारत की नजर से

दो चार होती है, चाहतें


तारीफ और तारीफों के पुल

बांधते जाते है हम

मुस्कराती तिरछी नज़र बरसी

और धुल धुसरती

होती है चाहतें


उनके प्यार के काबिल बने

यह सोचकर बदली

अपनी शख्सियत –

इस बात पर भी रुसवा हुई

उनकी ख्वाहिशें, अपनी चाहतें


ददुआ देता है मन

उनकी सितमगिरी पर

अपनी नाकामयाबी पर

उनको कोई आंच, न आये

ये चाहती है, चाहतें

                                       

                                        


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