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Hem Raj

Romance

4  

Hem Raj

Romance

बादल

बादल

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हृदय क्षितिज में घर्राते बादल,

गर्जना छोड़ , बरसात बरसा। 

तृषित धारा के रोम-रोम की,

आज प्रिये तू ,प्यास बुझा।


      सुकून मिले अब विरहिणी को,

       और न इसको यूं ही तड़पा।

      सोया सपना अलसाई आंखें,

       निज नेह से प्रिय तू ,अब तो जगा।


है यौवन की पीड़ा ,सावन- भादो की क्रीड़ा,

दादुर ,मोर और पपीहरा के शोर।

मानस पटल पर आग लगी है,

दिल लूट ले गया है, श्यामरा चोर।


       कटे न कटती है रातें काली,

       दिन, न सांझ, न कटती है भोर।

       प्रेम की लगी है प्यास प्रिये अब,

       रूप से रूह का रुख करो इस ओर।


चंद लम्हों के मिलन से क्या होगा? 

 नीर नीरद का बह जाने दे।

मन की बातें मन मांझ रहे न,

रोक न मुझे, सब कह जाने दे।


      दिन चार की है ये जिंदगानी सबकी,

       कहने को प्रिये हैं , बहुतेरी बातें।

        इक बार गुजरे दिन, जिंदगी के, 

       फिर बहुर न लौट के वापिस आते।


है जीवन वही जो दिल से जिया,

फिर न पछताना कि, अभी कुछ न किया।

आज माहौल प्रलय की मानिंद बना है,

कुछ हमने करा है ,कुछ कुदरत ने किया ।


       रह न जाए कुछ अधूरी बातें,

        जीवन प्रिये अब थोड़ा है।

        घनघोर घटा कुछ यूं न बरसाना,

        जिन्होंने, सब्र - बांध ही तोड़ा है।


हो जाने दे रिमझिम बारिश,

बरसात तो प्रिय अब आनी है।

बिरह बदरी बन घुमड़ रहा है, 

आत्म निवेदन - नेह का पानी है।


      घनश्याम पिया के संदेशे ले - ले,

      आती नीरद की जलधारा है।

      कब तक, विरहिणी वेदना झेले?

      यह जीवन कितना प्यारा है?


भीग जाने दे दिल के दरी खाने,

कलेजा भी ठंडा हो जाए।

मिल जाने दे नदी समंद में,

एक दूजे में प्रिये बस खो जाने दे।


       सिर्फ गरजते मत रहना, रेे ओ बादल!

        बरसात तो अब तू आने दे।

       सदियों पुराना बिछड़ा यार,

        रूहू को अब तो तू पाने दे।



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