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Hem Raj

Others

4  

Hem Raj

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बाप बेटी के रिश्ते

बाप बेटी के रिश्ते

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वह नन्ही सी कली जब, खिल आंगन में आई।

सारे घर की शोभा तब, थी उसी ने ही बढ़ाई।

निज पेट काट - काटकर, तब पिता ने पढ़ाई।

ज्यों जवान हुई थी, त्यों ही कर दी थी सगाई।

भावना प्रेम की दोनों ने, अंदर ही अन्दर छुपाई।

शादी हुई तो सह न पाया ' बाप बेटी की विदाई।


पत्नी बोली बस करो जी, यह भी कैसी है रुलाई ?

छुपा लो चीखें ज्यूँ, अर्थी पे जवां बेटे की छुपाई।

बाप बेटी के रिश्ते को पगली, तू क्या समझ पाई ?

आज बेटी नहीं जी मैंने, अपनी रूह ही है ब्याही।

न जाने फूल सी पली को, कैसे रखेगा जंवाई ?

चिंता बाप की है पगली, तेरी समझ में न आई।


फूट - फूट कर बिटिया रोए, मां - बाप और भाई।

टाली भी न जाए जी रीत, न ही जाए यह निभाई।

पिता तो यूं रोता है जैसे, लुट गई हो उसकी कमाई।

गम, मौत बेटे की झेल लिया, झेल सका न विदाई।

जब डोली उठी तो पिता को, यादें बहुत सारी आई।

भला बेटी के जाने की, कर पाएगा कौन कहाँ भरपाई ?


ससुराल में गम सब सहे पर, पिता को गाली न सह पाई।

स्वाभिमान जो है पिता उसका, चाहे हो जाए फिर लड़ाई।

दिक्कत हुई तो लाडली, लौट, पुनः बाबुल के घर को आई।

लाड प्यार से समझा बुझा के, बाबुल ने वापिस भिजवाई।

मौत पे पिता की जिसने, दुख में छाती कूट कूट कर बजाई।

मां - बाप तक ही तो था ये मायका, हो गई हूँ अब मैं पराई।



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