घर, समाज, राष्ट्र की सेवा में जीवन, फिर भी मैं पराई कहलाती हूँ घर, समाज, राष्ट्र की सेवा में जीवन, फिर भी मैं पराई कहलाती हूँ
कस कर भींच अपने होंठ पी कर सारी बारिश भीतर ही भीतर उड़ गयी, दूर बहुत दूर कस कर भींच अपने होंठ पी कर सारी बारिश भीतर ही भीतर उड़ गयी, दूर बहुत दूर
बेटी वो फूल है जो हर बाग में नहीं खिलती। किस्मत वाले हैं जिनको ये लक्ष्मी मिलती।। बेटी वो फूल है जो हर बाग में नहीं खिलती। किस्मत वाले हैं जिनको ये लक्ष्मी मिलती...
अपने बेटे होने पर बड़ा इतराता था बड़ी बहनों को छोटा दिखाता था अपने बेटे होने पर बड़ा इतराता था बड़ी बहनों को छोटा दिखाता था
वही भईया की मुस्कान दीजो, वही मेरे पीहर का मान दीजो, डोली में बैठा के जो करे,विदा उस भैया के कंधो... वही भईया की मुस्कान दीजो, वही मेरे पीहर का मान दीजो, डोली में बैठा के जो करे,व...
मैं जो चली जाऊँ घर से तो मुझे भूल ना जाना माँ-पापा के बाद भाईयों से ही तो है मायके का घराना।। मैं जो चली जाऊँ घर से तो मुझे भूल ना जाना माँ-पापा के बाद भाईयों से ही तो...