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Dr Manisha Sharma

Tragedy

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Dr Manisha Sharma

Tragedy

वक़्त

वक़्त

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बहुत सी बेटियों के

उस पिता ने

पूरे गाँव को जिमाया था

जब उसके घर में भी

कुल दीपक जगमगाया था

बहनों ने भी अपनी

सारी ख़ुशियाँ

उस भाई के

नाम कर दीं थीं


जिसने उन्हें राखी का 

अर्थ समझाया था

माँ का माँ होना भी 

अब सार्थक हुआ 

क्योंकि उसने वंश का 

कर्णधार जना था

घर के कोने कोने

में खुशहाली थी

हर किसी के सीने में

उसके होने का

जश्न मना था


समय बढ़ता गया 

वो राजदुलारा, सबकी

आँखों का तारा

बहने बेचारी और

वो सबका प्यारा

अपने बेटे होने पर

बड़ा इतराता था

बड़ी बहनों को 

छोटा दिखाता था

मां बाप भी बहनों

को समझाते

पर बेटे को कुछ ना

कह पाते


बहने धीरे धीरे

पराई हो चलीं

विदा ली उस घर से

जहाँ बोझ सी थीं पली

नैहर का मोह वो

छोड़ ना पायीं 

पीहर को उनकी

आवक कभी ना भायी

मायका उनका

दूर हो चला


जन्मदाता का अमोह

बहुत ही खला

फिर एक दिन आया वो 

कुलदीपक अब

सूरज बन चुका था

उसकी तपन से माँ पिता

का मन दुःखा था

माँ ने अपना वास

स्वर्ग में जब बनाया

राजदुलारा पिता को

आश्रम छोड़ आया

रोते हुए पिता इस

ख़याल में खोये

बोया पेड़ बबूल का

तो आम कहाँ ते होए


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