तिजोरी
तिजोरी
मैंने चाहा तुमसे
मुट्ठी भर प्यार और तिनका सा सम्मान
और जीवन भर रीती रही मैं
और कोसती रही ताउम्र
कभी ख़ुद को
कभी तुम्हें
कभी अपनी लकीरों को
भूल मेरी थी
तुम्हारी तिजोरी में जगह ही कहाँ थी इनके लिए
जो था तुम्हारे पास
वो सब तो दिया ही ना तुमने मुझे.....