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SMRITI SHIKHHA

Abstract

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SMRITI SHIKHHA

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प्यार का नशा

प्यार का नशा

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प्यार का होता जो नशा है डूबा देता है लोगों को ऐसे अपने गहरे नशे की ताकत में 


कि कर वो देता हर एक इंसान को अंधा वो भी इतना की कर न सके कोई इंसान 


सही और गलत की परख और हो जाए मजबूर लेने के लिए गलत फैसला 


क्यों कि सच्चा प्यार और पहला प्यार चाहे जो भी हो जाए है टिका रहता भरोसे और विश्वास पर 


मांगता है अपने आशिक से आशिकी के लिए ईमानदारी और सब्र का वादा लेता है वो इसीलिए हर वो प्यार करने वाले का इम्तिहान ।


प्यार की भाषा समझ आती सिर्फ उसी को है जो जानता असल में की आखिर प्यार होता क्या है 


प्यार की इज्ज़त करते वही है प्यार इश्क आशिकी करने वालों का भी इज्ज़त करते हैं 


जो मानते हैं प्यार को और खुद किए हैं प्यार को मेहसूस सच्चे दिल से किए हैं प्यार पर यकीन 


जानते हैं ज़िंदगी में होती क्या प्यार और प्यार करने वालों की एहेमियत है 


जो जानते हैं प्यार ना होने का या आशिकी से अलग होने का क्या होता है गम जो डूबे कभी उसे प्यार के नशे में हैं  ।




प्यार की बातें तो करते सभी हैं प्यार की बातें करने में कैसी हिम्मत जज़्बा की है ज़रूरत


असली आशिक असली इश्कबाज़ तो वही जो प्यार कर के दिखाए और सिर्फ वही नहीं 


प्यार करने की जो रखे हिम्मत उसके साथ प्यार और अपने प्यार से किए गए वादे


को निभाने की जो रखे हिम्मत बिना डरे किसिसे ना अपने घरवालों से और नाही


अपने प्यार के घरवालों से जो बिना डरे पूरे समाज और दुनिया से करे अपने प्यार और इश्क का इज़हार सामने पूरी दुनियावालों के 


बिना सोचे की क्या होगा अंजाम क्या होगा उसका परिणाम केहेलाते वो सच्चे आशिक सच्चे इश्कबाज़ जो ठुकराते नही अपने प्यार को किसी और के लिए  ।






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