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SMRITI SHIKHHA

Tragedy Action Thriller

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SMRITI SHIKHHA

Tragedy Action Thriller

वीर फौजी

वीर फौजी

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हिंदुस्तान के सरहद पर खड़े वीर हमारे सीने तान, कर रहे हैं रक्षा फौजी हमारी लगा कर जी और जान 

दुश्मनों से मिलाकर आखें करते हैं उन पर वार, खा कर गोली सीने पर लेते वो आखरी दम

है नही हमारे वीरों के मन शरीर कंधे इतने कमज़ोर की मिट जाएं हार जाए दुश्मनों से लड़ कर युद्ध

हैं वो बड़े वीर रहते हैं सरहदों पर अपने परिवार से दूर चाह कर भी जरूरत पर ना लौट पाते घर 

क्यों की है उनकी प्रथम प्राथमिकता देश और हमारे देश वासियों 

ना सोचते वो सिर्फ अपने घर वालों के बारे में सोचते वो पूरे हिंदुस्तान के बारे में 

की कैसे वो हर हाल में हर कीमत में रखेंगे अपने हिंदुस्तानियों को सलामत दुश्मनों से बचाकर लड़ कर उनसे हर हालत में 

ना डरते वो मौत से ना किसी दुश्मन देश से जी जान लगा कर देते उनको जवाब हैं जब कर वो दूसरे देश आक्रमण 

ढूंढ ढूंढ कर हर शहर से वो निकाल मारते आतंकवादियों को करते सबकी अपने जान पर खेले सुरक्षा 

बिना निकाले अपने मुंह से आवाज़ ज़रा सा भी कहते वो अपने जिगरी यारों अपने परिवार वालों को अलविदा 

है सफर उनका बड़ा मेहनती फिर भी है कहते इतना आरामदायक सफर होगा न किसिमे भी 

जहां है पल पल का खतरा समझाते वो अपने घर वालों को रहते वो वहां पर आराम से बिना डरे करते अपने यारों के साथ मस्तियां 

जब लगती है गोली कहते वो हैं की है ये खरोच छोटी सी ना देती वो दर्द ज़्यादा भले हीं ले वो रहे अपनी आखरी सांस हीं क्यों न हो 

है महान वो वीरों जिनकी देश भक्ति है अपार करके अपनी मीठी जिंदगी को न्योछावर आते वो रखने देश और देश वासियों के खबर 

वो वीर हिंदुस्तान के है बड़े महान जो छोड़ के आते अपने घरवालों परिवार साथी संबंधों को रखने देश का ध्यान 

है मेहनत उनकी कड़ी ना मिलती उनको गर्मी की छुट्टियां और नही दुर्गा पूजा और क्रिसमस की 

फिर भी है वो रहते बर्फीले पहाड़ों के बीच जहां पर है ऑक्सीजन की कमी और पड़ता है उनको काट कर बर्फीले पर्वत को पानी पीना 

जो मिलता बाकी जगह पर बड़े आसानी से है उसको पाने के लिए पड़ती है उनको करनी कड़ी मेहनत 

आज़ादी से अब तक दिया है हमारे वीर बहादुरों ने अपने सामर्थ्य से दुश्मनों को टक्कर जो छुड़ा दे उनके चौके छक्के 

चला जाए खुद की जान भला करते हुवे जम्मू कश्मीर भारत का बेहतरीन हिस्सा जिससे है कहा जाता पृथ्वी पर स्वर्ग है वो सुंदर इतना की खो जाए मन और हृदय कहां 

जिसके लिए न जाने कितने वर्षों से होती रहती है युद्ध न जाने बचाने के लिए उस राज्य को बहे हैं कितने खून 

जिसका रंग हमारे वीरों का चढ़ा से सफेद बर्फीली पर्वत पर 

फिर भी ले कर दिल में असीम प्रेम भारत और कश्मीर के लिए डाल कर जान अपनी जोखिम में करने हमारी रक्षा 

जाते वो सरहद पर देने पहरा भूल कर घर वार सिर्फ एक हीं खयाल रखते वो मन में की जान जाए पर ज़मीन ना जाए 

मातृ भूमि के लिए कर देते वो अपनी जान न्योछावर मनाते हम हैं आज़ादी के दिन 

चाहे हर हाल में मनाते हैं हम स्वाधीनता दिवस सिर्फ एक दिन मगर होता सिपाहियों के लिए हर दिन होता स्वाधीनता दिवस 

जब जीत के वो लौट ते रण भूमि से लहरा के तिरंगा और कुछ हो जाते शहीद है ये हमारी ज़मीन है ये हमारे असली योद्धा ।


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