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सोनी गुप्ता

Tragedy Inspirational

5.0  

सोनी गुप्ता

Tragedy Inspirational

जीवन के बाद

जीवन के बाद

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इस जीवन के बाद क्या पता, कौन सी राह पर फिर कहाँ मिलें? 

किस रूप में किस रंग में जाने कौन से उपवन में ये फूल खिले?

होगा अनजाना -सा घर या फिर होगा अनजाना-सा कोई नगर ,

अंतिम घड़ी आते ही वो सांसे चुक गई ,प्राण अपने छोड़ चले, 


जीवन मैं जिनके लिए जी रहा था वो दीप आज कैसे बुझ गया, 

वो गीत पुराने जो साथ गाए हमने,वो जीवन-स्वर कैसे छूट गया, 

न जाने कितने ही अनगिनत प्रश्नों के उत्तर, मैं यहाँ खोज रहा हूँ, 

जीवन मुक्त हुआ मौन धरे हुए उन आंखो का पानी भी रूठ गया, 


परन्तु आज भी एक प्रश्न मेरे अंतर्मन को व्याकुल करता रहता है, 

पंचतत्व में विलीन हुआ शरीर न जाना इसके बाद क्या होता है?&

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क्या है विधि का विधान ? और कैसा है यह जीवन का व्यापार? 

जीवन के बाद भी क्या वह जीवन भर के अपराधों को ढोता है, 


विधि का विधान ये ,जीवन के बाद पिछला जीवन ना याद रहा, 

जीवन के बाद का सफर अलग ,पर मृत्यु का दीप पूरी रात जला, 

जीवन के बाद का सफर कहीं अंधियारा तो कहीं फैला उजाला, 

कहीं किरण उतर आई धरती पर और सुख निर्झर सा बहता रहा, 


कहीं शाम ढली सुबह नजर आई ,कहीं सुबह का सूरज दिखा नहीं, 

निठुर नियति ने जो पल छीन लिए, वह पल दोबारा लौटा ही नहीं, 

जीवन के बाद आत्मा विलीन हो गई दीप तिल तिल जलता रहा, 

जीवन की गहन अमावस में हृदय की व्यथा किसी ने सुनी ही नहीं।


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