ऐसा आश्चर्य
ऐसा आश्चर्य
ऐसा आश्चर्य मुझे हुआ देखा
इस सर्दी में कोई रोता हुआ
कोहरे में दिखा नहीं उसका चेहरा
अंदर गम था बहुत गहरा आंसू का
था रंग लाल देखकर आश्चर्यचकित रह गई
देखकर उसका हाल गम की नदी में बह गई
शायद गहरी चोट लगी उससे मेरी तरह
लेकिन में तकलीफ़ सह गई लेकिन वो
सह नहीं पाया इस सर्दी के मौसम में
उसकी आत्मा ने भी छोड़ दिया साथ हो गया
पुरी तरह वो बर्बाद सड़क पर बैठे उन लोगों
ने भी उससे देखो नहीं अपनाया इस मौसम
की लपेट में आकर खो दिया अपना साया।
