वो यात्रा
वो यात्रा
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परिवार के साथ शिमला की यात्रा बहुत
थी यादगार देखो मौसम ठंड का और
तमबु गाड़कर उसमें रहना और रात को
आग जलाकर गाने शेर और शायरी में
गुज़रती रात सुबह उठकर सब लकड़ी
लेने जाते और गर्म मैगी का करते सेवन
वो यात्रा आज भी यादगार क्योंकी सब
बरसों बाद गये थे साथ भरी ठंडक के इस
मौसम में भी गरमाई मां की ममता की वो
हाथों से कड़ाई किये स्वेटर शौल और
मफलर की कोई बाहर से खरीदा गरम
कपड़ा उसका मुकाबला कर ही नहीं सकता
अब अगली ठंड में सबने किया इसरार
जाना ऐसे सफर में फिर एक बार।