मौसम मौसम
पथरा जातीं हैं धरती की आँखें, उसके होठों पर पपड़ी जम जाती है... पथरा जातीं हैं धरती की आँखें, उसके होठों पर पपड़ी जम जाती है...
अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है... अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है...
काम फूलों का काँटों से कैसे हो गया। काम फूलों का काँटों से कैसे हो गया।
जीवन यूं ही बिता जा रहा कभी तो संग मेरे जी लो ना जीवन यूं ही बिता जा रहा कभी तो संग मेरे जी लो ना
बीवी है गुस्साय चलो अब घर को चलते। बीवी है गुस्साय चलो अब घर को चलते।