मृत्यु संग...... मृत्यु संग......
प्यार क्या है ये मैं कभी समझ ना पाया... प्यार क्या है ये मैं कभी समझ ना पाया...
देख-देख तेरी अठखेलियाँ मैं मन ही मन हर्षाऊँ, लग जाये न मेरी ही नजर सोच-सोच डर जाऊँ । देख-देख तेरी अठखेलियाँ मैं मन ही मन हर्षाऊँ, लग जाये न मेरी ही नजर सोच-सोच डर...
जीवन यूं ही बिता जा रहा कभी तो संग मेरे जी लो ना जीवन यूं ही बिता जा रहा कभी तो संग मेरे जी लो ना
जो छिपाना न पड़े कभी वो बात बनना चाहती हूँ। जो छिपाना न पड़े कभी वो बात बनना चाहती हूँ।
अंधेरों से तुम सदा ही लड़ो मिलकर काम करो। अंधेरों से तुम सदा ही लड़ो मिलकर काम करो।