I'm dipak and I love to read StoryMirror contents.
सभी सहपाठी मूकदर्शक बने रहे। वह बोलता रहा…… सभी सहपाठी मूकदर्शक बने रहे। वह बोलता रहा……
कुर्सी पर वह नहीं उसके पिता का साँचा रखा है, वह पिघल रहा है और पिघलकर पिता के साँचे में ढलता जा रहा ... कुर्सी पर वह नहीं उसके पिता का साँचा रखा है, वह पिघल रहा है और पिघलकर पिता के सा...
क्या सच में जंग छिड़ सकती है? क्या सच में जंग छिड़ सकती है?
कन्यादान नहीं होगा...... कन्यादान नहीं होगा......
अम्मा खाने की तरफ देखे बगैर भूखी ही सो गई थीं। अम्मा खाने की तरफ देखे बगैर भूखी ही सो गई थीं।
आखिर तुम भी तो उसकी क़ीमत ही लगाते... आखिर तुम भी तो उसकी क़ीमत ही लगाते...
पापा ये पावर्टी क्या होती है? पापा ये पावर्टी क्या होती है?
बेचैनी बेचैनी
अंगुलियाँ अंगुलियाँ