पसीजे शब्द

पसीजे शब्द

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जब उसने पहली बार इस पराई ज़मीन पर क़दम रखा था तो जेब में दस पाउंड और बैग में तीन जोड़ी कपड़े भर थे। पंद्रह सालों में उसने अपनी लगन, मेहनत और ईमानदारी के दम पर 'फर्श से अर्श' तक का सफ़र तय किया। मगर बचपन की न जाने वो कौन सी यादें हैं जिनका वह अपने आज से कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहता था। कोई भारतप्रेमी अंग्रेज़ दोस्त उससे भारत के विषय में जानकारी लेना चाहता तो वह चिड़चिड़ा हो उठता।

आज इतवार को शत-प्रतिशत छुट्टी घोषित करती गुनगुनी धूप निकली थी लेकिन उसने आज भी एक क्लाइंट को समय दे रखा था। दफ्तर जाने के लिए जूतों में पैर डाले, तस्मे बाँधे, फिर कलाई घड़ी पहन ही रहा था कि तभी उसकी फूल सी बेटी हाथ में पेन-कॉपी और जेहन में सवाल लिए उसके पास आई। 

- पापा ये पावर्टी क्या होती है?

वह पल भर को ठिठका, बेटी के माथे को चूमा फिर ठण्डी आवाज़ में बोला। 

- गरीबी बेटा।

  बच्ची जोर से खिलखिला उठी। 

- ओह्हो आप भी न बुद्धू हो पापा… हिंदी मीनिंग तो मुझे भी पता है लेकिन गरीबी का मतलब क्या होता है?

 जवाब भरे गले से निकला 

- तुम इसका मतलब न जान सको बेटी इसीलिए तो.… । 


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